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ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी मासिक धर्म को लेकर लड़कियां खुलकर बात नहीं करती : रमीना कुमारी

शिक्षिका ने राजकीय मध्य विद्यालय नेउरा के छात्राओं को मासिक धर्म के बारे में किया जागरूक

कुटुंबा (औरंगाबाद)। ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी मासिक धर्म को लेकर लड़कियां खुलकर बात नहीं करती हैं. इस कारण से उन्हें कई तरह की शारिरिक और मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है. ऐसे में स्कूली छात्राओं को मासिक धर्म के बारे में जागरूक करने का बीड़ा यहां की एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका ने उठाया है. शिक्षिका छात्राओं से इस विषय पर खुलकर बातचीत करती है, उनकी समस्या को सुनकर समाधान का प्रयास करती है.

शिक्षिका औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड अंतर्गत राजकीय मध्य विद्यालय घेउरा, कुटुंबा में पदस्थापित है. जिले के नोडल शिक्षिका पद पर रहते हुए कार्यरत है. शिक्षिका रमीना कुमारी राजकीय मध्य विद्यालय नेउरा में अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन में वीक्षण कार्य हेतु प्रतिनियुक्त है. शिक्षिका रमीना कुमारी को उनके सराहनीय कार्य के लिए महिला एवं बाल विकास निगम के द्वारा स्टार के रूप में चुना गया.

शिक्षिका रमीना कुमारी ने बताया कि माहवारी एक ऐसी प्रक्रिया है, जो बालिका को पूर्ण स्त्री बनाती है. अर्थात वह बालिका ही पूर्ण स्त्री का दर्जा प्राप्त करती है, जो मां बन पाती है. मां बनने के लिए मासिक चक्र का होना बेहद जरूरी होता है.

वह कहती हैं कि मासिक चक्र कोई श्राप या पाप नहीं है. फिर भी हमारे इलाके में महिलाएं भी माहवारी को लेकर खुलकर बात नहीं करती है. इसलिए मैंने स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को जागरूक करना शुरू किया. उन्हें मासिक चक्र के दौरान होने वाली समस्याएं और उसके समाधान की जानकारी दी जाती है.

शिक्षिका ने बताया कि महिलाओं को महावारी संबंधित जागरूक होना बहुत जरूरी है. मौके पर में विद्यालय की वर्ग आठ की छात्राओं में अंजली, अल्का, गुड़िया, पिंकी, रौशनी, निक्की, शुभम, पवन, पियूष, रौशन इत्यादि अनेकों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें.

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