डुमरांव. नवरंग कला मंच के तत्वाधान में शाहाबाद के चर्चित चित्रकार कृष्ण मुरारी के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया. सभी ने अपने-अपने विचार रखें. वहीं अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव ने अपनी बातों को रखते हुए कहां कि डुमरांव में नवरत्न कला मंदिर के बैनर तले आईना नाटक का आयोजन किया गया था, उसमें भी इनके आर्ट को करीब से देखने को मिला था. उस दौर के कलाकारों में डॉ. शशि भूषण श्रीवास्तव, शंभु शरण नवीन, मनोज मगन, प्रदीप शरण, विद्याभूषण श्रीवास्तव, शिवजी पाठक, मोहन मिश्रा और कृष्ण मुरारी ने काम किया था, जो डुमरांव में नाटक के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित हुआ.
इसके बाद वर्ष 1979 में सबसे पहले हमलोगों ने बक्सर जिले की पहली फिल्म बाजे शहनाई हमार अंगना की शूटिंग के दौरान अपने पिताजी डॉ. शशि भूषण श्रीवास्तव के साथ कृष्ण मुरारी को फिल्मी हस्तियों का मेकअप कर एक नई राह चल दी, उस समय कृष्ण मुरारी को यहां से मुंबई ले जाने की उनलोगों ने पेशकश रखी. मगर उन्होंने नहीं मानी और डुमरांव की धरती पर रहकर मूर्ति बनाना, पेंटिंग करना और नवरंग कला मंच का हिस्सा बनकर रहना बेहद प्रिय था. वहीं मंच के अध्यक्ष भास्कर मिश्रा ने कहां कि कृष्ण मुरारी जी अपनी अद्भुत प्रतिभा की वजह से लोगों के दिलों पर हमेशा राज करते रहेंगे. इसके अलावे मनोज मिश्रा, विमलेश सिंह, सरोज कुमार, जितेंद्र कुमार, मनोज कुमार दूबे ने भी अपने विचार रखंे और उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की.
वहीं अनुराग संगीत विद्यालय के निदेशक सह प्लस टू राजहाई स्कूल के शिक्षक अनुराग मिश्रा ने बताया कि डुमरांव की धरती को गौरव बढ़ाने वाले मूर्तिकार कृष्णामुरारी बंगाल की धरती मूर्ति कला अपना परचम लहराया था. उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ. स्थानीय मूर्तिकार बड़क जी, भरत प्रसाद, गुप्तेश्वर प्रसाद, प्रेमचंद, संतोष ने मूर्तिकार के निधन पर शोक व्यक्त किया. इनलोगों ने बताया कि इनको दूसरों को सिखाने का जज्बा था. हमेशा अपने से जूड़े लोगों को मूर्ति बनाने के टिप्स दिया करते थे. शहर सहित आस-पास बड़े मूर्ति बनने के दौरान अक्सर स्थानीय मूर्ति बनाने वाले उन्हें आंख खोलने के लिए ले जाते थे. स्थानीय सत्यनारायण प्रसाद, दशरथ प्रसाद विद्यार्थी, कपिल तिवारी, देवेंद्र मिश्रा उर्फ ददनी मिश्रा, विशोकानंद चंद, मनीष कुमार शशि, मीरा सिंह मीरा, डा. बीएल प्रवीण ने शोक व्यक्त की.