डुमरांव. बुधवार को कायस्थ समाज ने प्रखंड व नगर परिषद क्षेत्र में बड़े ही धूमधाम से चित्रगुप्त पूजन किया. पूजा अर्चना करते हुए उन्हें फल-फूल व सूखे मेवे चढ़ाए गएं. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि के दिन चित्रगुप्त पूजन मनाया जाता हैं. इसी दिन भाई दूज का भी पर्व मनाया जाता है. कलम व दवात और बहीखातों की पूजा की जाती है.
चित्रगुप्त भगवान को यमराज का सहयोगी माना जाता है. मान्यता है कि चित्रगुप्त सभी प्राणियों के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. वहीं, कायस्थ लोगों के ईष्ट देवता के रूप में भी चित्रगुप्त भगवान को पूजा जाता है. इस अवसर पर कायस्थ युवाओं ने प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा अर्चना किया. बुधवार को अहले सुबह वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत पूजा अर्चना प्रारंभ हुआ.
मौके पर दर्जनों चित्रांश बंधुओं ने कलम दवात की पूजा की. इस दौरान भगवान चित्रगुप्त को कायस्थ समाज ने अपने आय व्यय का ब्योरा लिखकर भेजा. भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा और तस्वीर पर अक्षत, फुल, फल, मिठाई और अपनी किताबें समक्ष रख यश में बढ़ोतरी की कामना की गई. किदंवती की मानें तो भगवान चित्रगुप्त को देवलोक धर्म अधिकारी के नाम से भी जाना जाता है.
चित्रगुप्त का संबंध लेखन कार्य से होने के कारण इस दिन कलम व दवात की पूजा की जाती है. भगवान चित्रगुप्त का वर्णन पद्य पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्मपुराण, यमसंहिता व याज्ञवलक्य स्मृति सहित कई धार्मिक ग्रंथों में है. माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की कार्यो से हआ है.
वहीं, एक अन्य कथा के अनुसार चित्रगुप्त की उत्पत्ति समुद्र मंथन से बताई जाती है. समुद्र मंथन से 14 रत्न प्राप्त हुए थे, जिसमें इनकी उत्पत्ति लक्ष्मी जी साथ हुई. पूजा के दौरान पूरा क्षेत्र भक्तिमय बना रहा.