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कम आयु के शिशुओं के लिए खतरनाक है बीटा थैलेसीमिया

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बक्सर/ 17 दिसंबर| एनीमिया या खून की कमी को लेकर आज जिले में लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लेकिन, अभी भी लोगों में इसकी सम्पूर्ण जानकारी नहीं हो सकी है। यूं तो एनीमिया के काफी प्रकार हैं। लेकिन, बीटा थैलेसीमिया काफी खतरनाक है। जिसको कुली एनीमिया भी कहा जाता है, जो एक रक्त जनित रोग है जिसके कारण शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन को पहुंचना भी कम हो जाता है।

तुरंत उपचार ना होने पर बढ़ने लगती है परेशानी

बीटा थैलेसीमिया से ग्रसित व्यक्ति के शरीर का पीलापन, थकावट एवं कमजोरी का एहसास होना इसके प्राथमिक लक्षण होते हैं। तुरंत उपचार ना होने पर मरीज की परेशानी बढ़ने लगती है और उसके शरीर में खून के थक्के जमा होने लगते हैं। इस बीमारी से सबसे अधिक खतरा कम आयु के शिशुओं को है। इसकी उत्पत्ति मानव जीन में असामान्यता से होती है। यदि नवजात शिशु के माता पिता में से कोई भी थालेसेमिया से ग्रसित है, तो शिशु में भी यह रोग होने की 25 प्रतिशत सम्भावना होती है। यदि माता पिता दोनों इस रोग से ग्रसित है, तो शिशु में इसकी सम्भावना 50 प्रतिशत तक होती है। वहीं, कोई शिशु बीटा थैलेसेमिया से ग्रसित होता है, तो उसमें एनीमिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जिसके कारण उम्र के अनुपात में शिशु का वजन व लंबाई कम होती है। वहीं, उपचार न होने की स्थिति में वह कुपोषण का शिकार होता है। कुछ मरीजों को तो समय समय पर खून चढ़ाने की जरुरत होती है। ऐसा लंबे समय तक चलने से मरीज के लीवर, हृदय व हार्मोन में जटिलताएं होने लगती हैं।

अनुवांशिक होता है बीटा थैलेसीमिया

बीटा थैलेसेमिया से पीड़ित व्यक्ति की जांच के उपरांत उपचार किया जाता है। मरीज के शरीर में रक्ताल्पता के स्तर के अनुसार इलाज बताया जाता है और एनीमिया की स्तिथि गंभीर होने पर उन्हें खून चढ़ाने की सलाह दी जाती है। स्तिथि गंभीर ना हो इसके लिए मरीज को दवा खाने की सलाह दी जाती है एवं अत्याधिक गंभीर स्तिथि वाले मरीज को मज्जा प्रतिरोपण (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) की सलाह दी जाती है। बीटा थैलेसेमिया मूलतः अनुवांशिक होता है। इसलिए पति पत्नी को शिशु के बारे में सोचने के समय पूरा रक्त जांच करवाना चाहिए। जिससे आने वाले समय में किसी भी तरह के जटिलता से बचा जा सके। थैलेसेमिया का उपचार उसके प्रकार को देख कर होता है और एनीमिया के लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत चिकित्सीय परामर्श लें व नजरअंदाज बिलकुल न करें।

बीटा थैलेसेमिया से ग्रसित शिशु या व्यक्ति में ये प्रारंभिक लक्षण नजर आते हैं

• शरीर एवं आंखों का पीलापन
• पीलिया से ग्रसित होना
• स्वभाव में चिड़चिड़ापन
• भूख न लगना
• थकावट एवं कमजोरी का महसूस होना

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