उत्सवी महौल में आंगनबाड़ी केंद्रों पर हुआ नवजात बच्चों का अन्नप्राशन, आहार के बारें में दी गई जानकारी

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डुमरांव. गुरुवार को नुआंव पंचायत अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 47 पर सेविका लीलावती देवी की उपस्थिति में यश कुमार, माता सीमा देवी व पिता सुनील गोंड़ और रियांशी कुमारी, माता लक्ष्मी कुमारी व पिता राजेश कुमार का अन्नप्राशन उत्सवी महौल में हुआ. ऐसे प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर शिशुओं के अन्नप्राशन कराया गया. साथ ही शिशु के स्वजनों को शिशुओं के लिए स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार उपयोग करने की जानकारी दी गई. प्रखंड में बाल कुपोषण को दूर करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.

कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई कि बाल कुपोषण को कम करने में अनुपूरक आहार की अहम भूमिका होती है. छह माह तक शिशु का वजन लगभग दो गुना बढ़ जाता एवं एक वर्ष पूरा होने तक वजन लगभग तीन गुना एवं लंबाई जन्म से लगभग डेढ़ गुना बढ़ जाती है. जीवन के दो वर्षों में तंत्रिका प्रणाली एवं मस्तिष्क विकास के साथ सभी अंगों में संरचनात्मक एवं कार्यात्मक दृष्टिकोण से बहुत तेजी से विकास होता है. इसके लिए अतिरिक्त पोषक आहार की जरूरत होती है. इसलिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर माह 19 तारीख को छह माह के शिशुओं का अन्नप्राशन कराया जाता है.

माह में एक बार अन्नप्राशन दिवस का होता है आयोजन

सीडीपीओ नीरू बाला ने बताया कि छह माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की जरूरत होती है. इस दौरान शिशु के शरीर एवं मस्तिष्क का तेजी से विकास होता है. इसे ध्यान में रखते हुए सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर माह में एक बार अन्नप्राशन दिवस आयोजित किया जाता है. जिसमें छह माह के शिशुओं को अनुपूरक आहार खिलाया जाता है. इसके साथ ही उनके माता-पिता को इसके विषय में जानकारी दी जाती है.

इसके अलावा सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर हर माह टेक होम राशन (टीएचआर) का वितरण किया जाता है. जिसमें छह महीने से तीन वर्ष के शिशुओं के लिए चावल, दाल, सोयाबीन अथवा अंडा लाभार्थियों को उपलब्ध कराया जाता है. अन्नप्राशन दिवस पर लोगों को सेविकाओं द्वारा शिशुओं के लिए अनुपूरक आहार बनाने के विषय में भी जानकारी दी जाती है, जिससे उसे संतुलित भोजन उपलब्ध हो सके.

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-घर में मौजूद खाद्य पदार्थों का करें उपयोग

कार्यक्रम में शामिल महिला पर्यवेक्षिका फिरोजा बानो, रीता देवी, उषा कुमारी व प्रखंड समन्वयक सुनीता कुमारी ने बताया कि शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है. सूजी, गेहूं का आटा, चावल, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में दलिया बनाया जा सकता है.

बच्चें के आहार में चीनी अथवा गुड़ को भी शामिल करना चाहिए, क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है. छह से 9 माह तक के बच्चों को गाढ़ा एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए. वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच से घी या तेल डालना चाहिए. दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं.

बच्चों के आहार में इन बातों का रखें ख्याल

– 6 माह बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार शिशु को दें।
– स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को सुपाच्य खाना दें।
– शिशु को मल्टिग आहार (अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें
– शिशु यदि अनुपूरक आहार नहीं खाए तब भी थोड़ी-थोड़ी मात्रा करके कई बार खिलाएं

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