
डुमरांव. रविवार को अक्षय नवमी पर नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा की. भगवान विष्णु की पूजा के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि बेहद शुभ दिन माना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से कई जन्म संवर जाते हैं. धर्मशास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवले की उत्पत्ति हुई थी. यह विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी का प्रिय वृक्ष है. इसलिए इस दिन को आंवला के वृक्ष की पूजा से त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश के साथ ही माता लक्ष्मी की भी अपार कृपा प्राप्त होती है.
नगर के विभिन्न क्षेत्रों में कार्तिक मास के प्रारंभ से शुरू आंवला वृक्ष की पूजा के क्रम में अक्षय नवमी के दिन विशेष आयोजन हुआ. पूजन-अर्चन व दान-पुण्य के साथ ही आंवला वृक्ष के नीचे विविध पकवानों को बनाकर श्रद्धालुओं ने उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया. नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत छठिया पोखरा स्थित राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी भगवती मंदिर परिसर, निमेज टोला कर्पूरी महारानी परिसर, नगर पंचित काली आश्रम, नगर देवी डुमरेजनी मंदिर, राजेश्वर मंदिर, बांके बिहारी मंदिर सहित नगर के विभिन्न जगहों पर अक्षय नवमी पर बाग-बगीचों समेत अनेक स्थानों पर आंवला वृक्ष का पारंपरिक तरीके से पूजन किया गया. इस दौरान लोगों ने आंवला वृक्ष के नीचे पकवान बनाए और परिजनों व सगे संबंधियों संग विविध व्यंजनों को प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया.
श्रद्धालुओं ने आंवला वृक्ष के नीचे पूजन अर्चन और भोजन ग्रहण कर मंगलकामना की. राजेश्वर मंदिर में पुजारी मुकुंद माधव द्वारा मंजू कुमारी, सुमन गुप्ता, गीता देवी, शशि, पन्ना, राजकुमारी, पीहु, आस्था, सुगरी देवी, सीता देवी, लालमुनि देवी, शीला, आदिति गुप्ता सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा सुनने के बाद प्रसाद ग्रहण किया.